मैं इश्क़ लिखूं, तुम बनारस समझना
कुछ यूं ही तुम इसे, मेरे प्यार का इजहार समझना।
हर शाम की तरह
उस शाम भी बैठा था गंगा किनारे
निहार रहा था तुझे
जैसे तेरी जुल्फें तेरी मुस्कान को छुपाती है
वैसे ही कुछ घाट इस गंगा को
फर्क सिर्फ इतना है कि शर्माना तुम्हारा गहना है
और घाट इस गंगा के..
हे भगवान …..
यह कैसी लत लगा दी मुझे
होता शराब, शबाब, गुलाब का नशा ,
देख कर ही सही,
मन भर लेता…
क्योंकी मुस्कुराती तो वो थी..
और कत्ल ए आम यहां हमारा होता,
नशा ऐसा की रहा ना जाए
अस्सी से दशाश्वमेध चला ना जाए,
हो तुम भी पेचीदा यहा की गलियों की तरह,
मिज़ाज से क्या – तुम्हें बनारस कहा जाए?
जैसें तुम्हारे होंठ…
महादेव महादेव जपते हैं,
कुछ वैसे ही हर सांस मेरी तेरा नाम लेती हैं.
और बस आखिरी में जाते -जाते किसी के लिए..
मुझे इश्क है बनारस से
और तुम ही। मेरा बनारस हो…..
।।हर हर महादेव।।
By- Pitambar Soren
Insta Id- @pitusays